1) केवल थोड़े से कुकर्म, बहुत से गुणों को दूषित करने में समर्थ होते हैं |  -प्लूटार्क
2) जो मनुष्य अपने क्रोध को अपने ही ऊपर झेल लेता है | वह दूसरों के क्रोध से बच जाता है |  -सुकरात
3) कुसमय में साहस भी साथ छोड़ देता है |
4) कुछ पुस्तकें चलने मात्र की होती हैं, दूसरी निगाह डालने योग्य और कुछ ऐसी होती हैं, जिन्हें चबाया और पचाया जा सके | – बेकन.
5) बुरी पुस्तकों का पढ़ना जहर पीने के समान है | – टालस्टाय.
6) प्रतिभा अपनी राह स्वयं निर्धारित कर लेती है और अपना दीप स्वयं ले चलती है | – विल्मट.
7) प्रतिभावान व्यक्ति यदि नष्ट होता है, तो बहुधा अपने ही व्दारा नष्ट होता है | – जानसन.
8) मानव के अंदर जो कुछ सर्वोत्तम है, उसका विकास प्रशंसा तथा प्रोत्साहन के व्दारा किया जा सकता है | – चार्ल्स श्वेव.
9) यदि तुम चाहते हो कि दुसरे तुम्हारी प्रशंसा करें, तो पहले तुम दूसरों की प्रशंसा करना सीखो | – एमर्सन.
10) प्रशंसा वह हथियार है, जिससे शत्रु भी मित्र बनाया जा सकता है | – दयानन्द सरस्वती.

Comments

Popular Posts