मन्नत मांगो जन्नत नहीं!


एक बार एक आदमी की अपनी पत्नी से बहुत घमासान लड़ाई हो गयी तो वह गुस्से में घर छोड़ कर चला गया और जंगल में समाधि लगा कर बैठ गया।

कईं महीनो की घोर तपस्या के बाद भगवान् उस पर प्रसन्न होकर उसके समक्ष प्रकट हुए और उससे बोले।

भगवान्: आँखे खोलो वत्स।

आवाज़ सुन कर उस आदमी ने आँखे खोली तो अपने सामने भगवान् को देख वह आदमी भगवान् से बोला, " हे प्रभु मेरे दुखों का निवारण करो।"

भगवान्: बोलो वत्स तुम्हारी क्या इच्छा है।

आदमी: प्रभु मैं अपनी पत्नी से बहुत परेशान हूँ और मैं चाहता हूँ या तो आप उसे गूंगा कर दो या मुझे फिर से कुंवारा बना दो।

भगवान: वत्स मैंने तुम्हे मन्नत मांगने को बोला था जन्नत मांगने को नहीं।
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